June 8, 2025 3:02 PM

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बड़सर में बीजेपी की राहें भी नहीं है आसान

लखनपाल को टिकट मिलने से बीजेपी कार्यकर्ता खुश, नेता परेशान

कांग्रेस भी साधारण व स्थानीय चेहरे की कर रही है तलाश

आवाज हिमाचल। हमीरपुर
हिमाचल में लोकसभा चुनावों से ज्यादा विधानसभा चुनावों को लेकर चर्चाएं हो रही है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह जिला की बड़सर विधानसभा के राजनितिक समीकरणों की बात करें तो यहां कांग्रेस को संकट में डालकर भाजपा के बैनर तले पूर्व विधायक इंद्रदत्त लखनपाल चुनावी ताल ठोक चुके हैं, लेकिन कांग्रेस अभी तक उम्मीदवार को लेकर फैसला नहीं ले पाई है। कांग्रेस के टिकट से तीन बार विधानसभा पंहुचे लखनपाल अब बीजेपी खेमे में हैं। भाजपा मंडल का समर्थन, सहनशीलता व बोलवाणी उनकी दावेदारी को फिर से मजबूत कर रही है। उनके मजबूत होने का कारण यह भी है कि कांग्रेस में टिकट को लेकर अंदर खाते घमासान मचा हुआ है। दूसरा पहलू ये भी है कि बड़सर में भाजपा इंद्रदत्त लखनपाल की इंट्री को पचा नहीं पा रही है ऐसे में लखनपाल की राहें भी आसान नहीं होने वाली हैं। बड़सर में कांग्रेस से टिकट के दावेदारों की लाइन लंबी है और अब तक दो दर्जन से ज्यादा दावेदारी ठोक चुके हैं ऐसे में कांग्रेस अभी तक फैसला नहीं ले पाई है। मुख्यमंत्री सुक्खू बड़सर सीट को लेकर काफी गंभीर है और ऐसे नेता की तलाश में हैं जो सभी को एक साथ लेकर चल सके। मुख्यमंत्री स्थानीय टिकटार्थियों को तरजीह देने के मूड में हैं, ऐसे मे कांग्रेस एक साधारण व मजबूत पकड़ वाले स्थानीय चेहरे की तलाश कर रही हैं। ऐसे चेहरे की बात करें तो बड़सर में प्रदेश कांग्रेस सचिव किशन कुमार चौधरी का नाम प्रमुख माना जा रहा है। किशन कुमार कांग्रेस के कर्मठ व ईमानदार कार्यकर्ता ही नहीं है बल्कि संगठन के कई पदों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। साधारण व्यक्तित्व वाले किशन समाजसेवी के नाम से प्रख्यात हैं और उनकी कार्यकर्ताओं व जनता में हर पंचायत स्तर पर मजबूत पकड़ भी है। इसका परिचय किशन पिछले विधानसभा चुनावों में दे चुके हैं। पिछले चुनावों में बड़सर से कांग्रेस प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने व बिखरी कांग्रेस को एकजुट करने में किशन का योगदान अहम रहा है। किशन स्थानीय होने के साथ साथ जनता के बीच मजबूत पैठ भी रखते हैं। बड़सर कांग्रेस भी उनका नाम प्रमोट करने मे लगी हुई है। जनता की मानें तो किशन ही एक ऐसे व्यक्ति है जो बिखरी कांग्रेस कुनवे को साथ लेकर चल सकते हैं। वैसे भी बड़सर मे हमेशा ही धरती पुत्र का नारा जोर पकड़ता रहा है और पिछले चुनावों मे आजाद प्रत्याशी संजीव शर्मा को इसका फायदा भी मिला था। वहीं दूसरा नाम महिला प्रत्याशी शर्मिला पटियाल के नाम पर भी चर्चा चल रही है लेकिन शर्मिला पटियाल वेसीकली शिमला में रहती है और बड़सर मे बहुत ही कम लोग है जो उन्हें जानते व पहचानते हैं। तीसरा नाम पूर्व विधायक मंजीत सिंह डोगरा का भी है जिन्होंने एक बार नादौनता से कांग्रेस के टिकट से तो एक बार आजाद चुनाव जीता है। उनके द्वारा करवाये गए विकास का आज भी बड़सर मे डंका बोलता है। इसी तरह चौथा नाम युवा एवं कर्मठ नेता रूबल ठाकुर का भी है जो वर्तमान मे एनएसयूआई के नेशनल कॉर्डिंनेटर पद पर सेवाएं दे रहे हैं। इसके आलावा करीब दो दर्जन लोगों ने बड़सर कांग्रेस से टिकट की दबेदारी पेश की है जिन में से सुभाष ढटवालिया, रमा शंकर, मीना धीमान, विपिन ढटवालिया, कमल पठानिया, विजय ढटवालिया सहित कई ऐसे नाम हैं जिन्होंने बड़सर मे कांग्रेस से टिकट की दावेदारी ठोकी है। ऐसे में बड़सर से टिकट का फैसला करने मे हाईकमान व मुख्यमंत्री को भी खूब माथापच्ची करनी पड़ रही है लेकिन कांग्रेस केवल जिताऊ क्षमता वाले टिकाटार्थी को ही टिकट देगी।

बॉक्स

उधर, बड़सर में भाजपा अभी तक इंद्रदत्त लखनपाल की एंट्री को नहीं पचा पा रही है। लखनपाल के भाजपा में आने से कार्यकर्ता तो खुश हैं लेकिन बड़सर भाजपा का एक बड़ा नेता एक वोट पीएम और एक वोट सीएम के एजेंडे को लेकर कार्यकर्ताओं को वरगलाने मे लगा हुआ है। इस विषय को लेकर कार्यकर्ताओं को मैसेज और फोन भी आ रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो लोकसभा चुनावों में अनुराग ठाकुर की मुश्किलें भी अपनी ही पार्टी के कर्णधार बढ़ा सकते हैं।

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