आवाज हिमाचल। हमीरपुर
नाचन विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी विधायक द्वारा जन समस्याओं के नाम पर महिला अधिकारी के कार्यालय में की गई दबंगई ने एक बार फिर साबित किया है कि प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में बाहुबली नेताओं का दुस्हास लगातार बढ़ता जा रहा है। सत्ता में रहें या विपक्ष में बीजेपी के सत्ताधीश धौंस और दबाव में ज्यादा भरोसा करने लगे हैं। बीजेपी बाहुबली नेताओं की फेहरिस्त दिनोंदिन लम्बी होती जा रही है। जिसका बुरा असर समाज और सिस्टम पर लगातार पड़ रहा है। हालांकि इस बदमिजाजी और बदतमीजी से प्रदेश बीजेपी भी नहीं बच पाई है। विगत दिनों नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से सरेआम सड़क पर इस तरह का बेहुदा बर्ताब हो चुका है, जो शायद बीजेपी के बाहुबली नेताओं के अनुसरण की शुरुआत है। नाचन के विधायक के उग्र तर्क और तथ्य बताते हैं कि पहले से धौंस-दबाव जताने व बताने की गरज से दनदनाते हुए विधायक व उनके गुर्गे महिला अधिकारी के कार्यालय में जन समस्याओं का हवाला देते हुए आ धमके थे। जिसकी प्रारंभिक शुरुआत विधायक के गुर्गों ने चपड़ासी को धकियाते हुए महिला अधिकारी कार्यालय के दरवाजे पर लात मारकर खोलने से शुरुआत की थी। जो कि जन प्रतिनिधि के दुस्हास को इंगित करता है। हालांकि इस मामले में विधायक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
लेकिन दुर्भाग्य यह है कि यहां सिस्टम ही सिस्टम का धुर विरोधी साबित हुआ है। एफआईआर में पुलिस ने सब कुछ जानते-बूझते हुए घटनास्थल का नाम अननोन लिखा है। हालांकि पुलिस के एसएचओ सचिन की सुनें तो यह प्रारंभिक रिपोर्ट है। जिसमें जांच के बाद नाम दर्ज किए जाएंगे। सवाल यह उठता है कि क्या स्थानीय पुलिस का एसएचओ घटना स्थल का नाम नहीं जानते हैं या अपने तौर पर पुलिस सिस्टम सिर्फ लैटर बॉक्स का काम कर रहा है। इस वारदात के सैकड़ों वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं।
लेकिन कानून को पंगु साबित करने वाला सिस्टम महिला अधिकारी के कार्यालय के स्थान का नाम ही नहीं जानता है तो यह अपने आप में जांच को प्रभावित करने जैसा लगता है। बात चम्बा की हो या हमीरपुर की, कई जगह बीजेपी के कर्णधार इस तरह का धौंस और दबाव दिखाते हुए सिस्टम को पंगु बनाने का दुस्हास कर चुके हैं। बेहतर होता कि विधायक इस मसले को अधिकारी के साथ शालीन तरीके से डिस्कस करके मसले का हल ढूंढते। इस घटना की चंहु ओर निंदा हो रही है। इसके साथ ही बाहुबली विधायक की कारगुजारी ने बीजेपी जैसी अनुशासित पार्टी के आचरण को भी दागदार किया है। जिससे अधिकारियों का मनोबल टूटना स्वाभाविक है। हालांकि विधायक के दुव्र्यवहार पर बीजेपी की तरफ से अभी तक कोई अधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है लेकिन बीजेपी के बाहुबली सत्ताधीशों का खराब व्यवहार जहां एक ओर अधिकारियों और कर्मचारियों की प्रतिभा को कुंठित कर रहा है। जिसका प्रभाव निश्चित तौर पर अधिकारियों की कार्यशैली पर पडऩा निश्चित है। वहीं दूसरी ओर बाहुबली नेताओं के बढ़ते दुस्हास से आम आदमी का भरोसा भी बीजेपी से टूटना स्वाभाविक है। जिसका असर आगामी चुनावी प्रक्रिया पर निश्चित तौर पर पड़ेगा। बीजेपी के शिखर नेतृत्व को ऐसे धौंस-दबाव के संस्कारों पर तत्काल प्रभाव से नकेल कसनी जरुरी है अन्यथा प्रदेश में राजनीति का अनुसरण करने वाली जनता इस तरह के कृत्य आए दिन करे तो कोई हैरत न होगी।