October 3, 2025 10:26 AM

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अस्थमा, चमड़ी के रोग,एलर्जि व कई घम्भीर बीमारियों का जनक बन चुका है गाजर घास

औद्यनिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी ने परिसर में चलाया गाजर घास उन्मूलन अभियान

आवाज हिमाचल। हमीरपुर

डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यनिकी एवं वानिकी विशवविद्यलय के औद्यनिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी में गाजर घास उनमूलन अभियान चलाया गया। इस अवसर पर महाविद्यलय के डीन डॉ कमल शर्मा ने कहा कि गाजर घास आज मनुष्य एवं अन्य प्रणीओं के लिए जी का जंजाल बन गया है। यह घास रूपी बीमारी अमेरिका से चलकर विशव के लगभग पचास देशों में फैल गयी है। यह एक प्रकार का बेशर्म पौधा है, जो सड़कों, घासनियों रेलवे लाइन के साथ-साथ किसानो के खेतों तक अपना स्थान बना चुका है। यह अस्थमा, चमड़ी के रोग,एलर्जि व कई घम्भीर बीमारियों का जनक बन चुका है यह पशुओं के स्वस्थ पर भी दुष्प्रभाव डालता है जिससे दुधारू पशुओं की दुगध क्षमता प्रभावित होने के साथ पशु की जान जाने तक का खतरा बना है।गाजर घास का एक पौधा पंद्रह से बीस हजार तक बीज पैदा करता है, जिससे इस पौधे का विस्तार तेजी से हो रहा है, यही नहीं इस पौधे के फूलों के एकवर्ग फीट क्षेत्र में लगभग इकतीस लाख प्रागकण पाए जाते हैं जो खाद्य फसलों एवम पौधों के बीज स्थापन को भी बुरी तरह से प्रभावित करते हैं जिस से इन फसलों के उत्पादन में नब्बे प्रतिशत की कमी आ सकती है। जिस से किसानो की आमदनी को बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। जोआने वाले समय के लिए एक चिंता का विषय है।

इस पौधे के उन्मूलन के लिए इसे फूल आने से पहले जड़ से उखाड़ दे और गड्डे में इक्कठा करके डाल दें जो केंचुआ खाद का एक अच्छा स्त्रोत हो जाता है। इस अभियान में कॉलेज के सभी प्राध्यपको व कर्मचारियों ने भाग लिया । इस अवसर पर डॉ वि के राणा , डॉ बलबीर डोगरा, डॉ शशि शर्मा उपस्थित रहे डॉ के एस पंत ने समनव्यक की भूमिका निभाई व डॉ यशस्वी ने मंच संचालन किया।

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